वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) पर विस्तार विश्लेषण: सदानन्द कुमार आनन्द।
जोश भारत न्यूज|बिहार
बांका। वस्तु एवं सेवा कर भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उठाया गया बड़ा कदम है । आखिरकार 1 जुलाई 2017 को पूरे देश में, एक साथ जी.एस.टी. अधिनियम लागू हो गया। इसी के साथ, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और व्यापार पर लगने वाले सभी दूसरे टैक्स खत्म हो गए। उनकी जगह पर सिर्फ एक टैक्स बचा जिसका नाम है जी.एस.टी. यह एक महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था है यह शब्द अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण रीढ़ माना जाता है जी.एस.टी. चार प्रकार के होते हैं, सी.जी.एस.टी., एस.जी.एस.टी., आई.जी.एस.टी. और यू.टी.जी.एस.टी. इन सभी जी.एस.टी. के माध्यम से अपना कर वसूलते, कर संरचना के आधार पर इसको रखा गया है जिसे कर स्लैब कहा जाता है।
दूध,नमक, अनाज जैसे दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं पर 0% जी.एस.टी. पर रखा गया है, इस टैक्स के दायरे में 5% जी.एस.टी. पर चीनी, चाय की पत्ती , जूता चप्पल, पर लगाए जाते हैं तीसरी स्तंभ पर 12% के जी.एस.टी. जो की मोबाइल, घी इत्यादि जैसे वस्तुओं पर लगाया जाता है।
चौथे स्तंभ पर 18% की जी.एस.टी. साबुन टूथपेस्ट तेल कंप्यूटर जैसे वस्तुओं पर रखा गया और पांच में स्तंभ पर 28% की टैक्स के दायरे में विलासिता वस्तुओं को जोड़ी गई है l इसके मुख्य फायदे पूरे देश में किसी भी सामान को खरीदने के लिए एक ही टैक्स चुकाना होता है जी.एस.टी. आजकल के जमाने में बेहतर माना जाता है।
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