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सुशांत सिंह राजपूत, एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं - श्रद्धा सुमन

सुशांत सिंह राजपूत, एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं - श्रद्धा सुमन

 


सुशांत सिंह राजपूत, एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। मात्र 34 वर्ष की छोटी सी आयु और उम्र से बड़ी पहचान। जी हाँ, 21 जनवरी 1986 में बिहार के पटना शहर में श्री कृष्ण कुमार सिंह और श्रीमती उषा सिंह के घर जन्मे गुलशन ने अपनी माँ के गोद में खेलते हुए ये कब सोच होगा कि वो बहुत कम समय में एक लंबा सफर तय कर के आसमान की उचाइयों को छूने वाला है। और अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला है।

सुशांत सिंह ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पटना के फेमस St. Karen’s High School से की। परंतु माँ उषा सिंह की 2002 में मृत्यु हो जाने की वजह से गुलशन और उसका परिवार बिखर सा गया। नतिजन परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया और सुशांत ने अपनी इंटरमिडीएट की पढ़ाई कुलाची हंसराज मॉडल स्कूल से पूरी की। उच्च शिक्षा के दौरान विश्वविद्यालय का छात्र रहते हुए उन्होंने श्यामक दावर की डांस स्कूल में दाखिला लिया। यही वो टर्निंग पॉइंट था जहां से सुशांत का अभिनय की तरफ रुझान बढ़ा और उन्होंने इसकी तरफ अपना रुख मोड़ दिया। और डांस के साथ-साथ उन्होंने बैरी जॉन की नाटक की कक्षाओं में शामिल होना शुरू कर दिया था।   

2005 में उन्हें 51वें फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए श्यामक दावर के डांस ट्रूप में शामिल होने का मौका मिला। फिर धूम 2 के टाइटल सॉन्ग में बैकग्राउंड डान्सर के रूप में और फिर कॉमनवेल्थ गेम्स के समापन समारोह में ऐश्वर्या राय के परफॉरमेंस में भी बैकग्राउंड डान्सर के रूप में रहे। एक के बाद एक मिल रहे मौके ने सुशांत के अंदर का आत्मविश्वास और मजबूत किया। 

वर्ष 2008 में स्टार प्लस पर ‘किस देश में है मेरा दिल’ नाम के रोमांटिक ड्रामे से सुशांत ने अभिनय की दुनिया में पहला कदम रखा। जी टीवी के लोकप्रिय शो ‘पवित्र रिश्ता’ ने ‘मानव’ को पहचान दी। और अपनी माँ के गुलशन को उड़ान भरने के लिए पंख। इस शो के लिए उन्हें 2010 में Indian Television Academy Awards के अंतर्गत अपना पहला बेस्ट ऐक्टर अवॉर्ड जीता और इसके साथ-साथ कई और अवार्ड्स भी जीते। 2013 में आई फिल्म ‘काय पो छे!’ से सुशांत ने फिल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रखा और फिर बिना रुके चलते रहे। इसके बाद उन्होंने ‘शुद्ध देसी रोमांस’, ‘पीके’, ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी’ में काम किया। 2016 की फ़िल्म ‘एम॰ एस॰ धोनी: द अनटॉल्ड स्टोरी’ में उन्होंने ‘महेंद्र सिंह धोनी’ की मुख्य भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें सराहा गया। अभिनय के अलावा वे विभिन्न कार्यक्रमों जैसे कि Sushant4Education में भी सक्रिय रूप से शामिल थे। इसके अलावा वे कुछ प्रौद्योगिकी कंपनियों के भी संस्थापक थे।

‘केदारनाथ’, ‘छिछोरे’ और ‘दिल बेचारा’ जैसी सफल लोकप्रिय फिल्में करने वाले इस नायक की ऐसी मौत; ये सोच पाना थोड़ा कठिन है और अस्वीकार्य भी। जिसकी फिल्मों ने ज़िंदगी जीने का तरीका सिखाया हो, वो आत्महत्या कैसे कर सकता है। 14 जून 2020, जिस वक्त दुनिया ने ये जाना कि  ज़िंदगी जीने का तरीका सीखाने वाला ‘अन्नी’ खुद ज़िंदगी से हार गया; वो वक्त जाने कितने लोगों के लिए ठहर सा गया होगा। जाने कितने लोगों का दिल सहसा धक से कर के रह गया होगा, शब्द बेजुबां और आँखें जैसे सैलाब हो गई होंगी। 

सुशांत ने अपने जीवनकाल में जिन लोगों को गुलज़ार रखा, उनमें से कई ने उसकी मौत को भी भुनाया। आज गुलशन को गए हुए पूरे 2 साल हो चुके हैं; मगर इंसाफ अभी बाकी है। क्या वाकई सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या कर सकता है? ऐसा क्या हो गया की खुशमिज़ाज सा एक लड़का डिप्रेशन में चला गया? और वो भी इस हद तक की उसने अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर ली। 

है न कुछ अबूझ सी पहेली जैसे सवाल! क्या सुशांत को कभी इंसाफ मिल पाएगा? क्या उनकी आत्मा को मुक्ति मिल गई है? क्या वाकई सुशांत से जुड़े सारे तार निर्दोष हैं? ऐसे कई सवाल हैं जिनका जवाब अभी बाकी है। 

आइए हम सब हाथ जोड़ कर सुशांत की आत्मा की शांति की दुआ करें और दुआ करें कि उनको जल्दी ही न्याय मिले। 

ॐ शांति!!


                              -श्रद्धा सुमन    

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