
मखाना महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया लेकिन हम किसानों को इस ड्रामे से क्या लाभ हुआ - राजा सहनी
वार्षिक बजट 2025 26 में केंद्र सरकार के द्वारा मखाना बोर्ड की गठन के लिए 100 करोड़ की राशि उपलब्ध करवाई गई इसके बाद मखाना किसानों ने सरकार के नियत पर ही सवाल उठा दिया है, मखाना किसान एवं कारोबारी राजा सहनी बताते हैं कि मखाना के नाम पर ड्रामा हो रहा है वह सरकार के द्वारा मखाना महोत्सव के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया लेकिन हम किसानों को इस ड्रामे से क्या लाभ हुआ मखाना के नाम पर ना तो मखाना किसानों को सब्सिडी की राशि प्राप्त होती है और ना ही आम किसानों को इससे कोई लाभ पहुंचता है।
सरकार के द्वारा लगातार लोक लुभावन वादों से किसानों को ठगने का प्रयास किया जा रहा है क्योंकि मखाना महोत्सव के नाम पर सरकार मखाना पैदावार को बढ़ाने की तो बात करती है लेकिन क्या मखाना कोई साधारण का खाद्यान्न फसल है कि उसे लोग रोजमर्रा की तरह रोटी चावल के रूप में खाएं, मखाना एक नगरी फसल है जिससे औद्योगिक विकास को बल मिलता है इसलिए जरूरी है कि सरकार मखाना की किसानो की स्थिति में बदलाव करें और मखाना किसानों को उचित सब्सिडी प्राप्त हो और इस मशीनीकरण के दौर में सब्सिडी के तहत मखाना फोड़ी के लिए मशीन उपलब्ध कराई जाए नहीं तो सरकार के नीतियों के विरुद्ध मखाना किसानों को संगठित होना होगा और सरकारी अत्याचारों के विरुद्ध बिगुल फूंकना होगा, सहनी ने आगे बताया कि बिहार सरकार के कृषि मंत्रालय के वेबसाइट पर 60 मशीन पंजीकृत है लेकिन मखाना किसानों को यह मशीन प्राप्त नहीं हुई उनके नाम पर बिचौलियों को यह मशीने दी गई, बाद बांकि मशीन सरकारी सिस्टम का शिकार हो गया मखाना किसानों के लिए शेड का निर्माण भी नहीं करवाया गया मशीनीकरण के अभाव में मखाना उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रहा है इस मशीनीकरण के दौर में भी उत्तर बिहार के खासकर मिथिला के हिस्से में निवास करने वाले मखाना किसान और श्रमिक पूर्णिया एवं कटिहार तथा बंगाल के माल्दा में मखाना फोड़ी के लिए जाते हैं व्यापारी वर्ग मखाना का व्यवसाय करके जहां आगे बढ़ रहे हैं वही मखाना कृषक एवं मजदूर बेरोजगारी के दौर में भूखे पेट करने को मजबूर हैं।
आजादी के 70 साल बाद केंद्रीय बजट में मखाना बोर्ड के लिए मिले 100 करोड़ की राशि फिर भी मखाना किसानों ने सरकार के नियत पर उठाया सवाल आजादी के 7 दशक बाद भी मखाना किसानों के हाथ कुछ नहीं लगा जिससे सरकार के प्रति बढी मखाना किसानों की नाराजगी।
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