
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत किया गया समीक्षा बैठक का अयोजन।
डुमराव। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन,नई दिल्ली एवं दिशा एक प्रयास, बक्सर के द्वारा डुमराव जिला कार्यालय में एक बैठक आयोजित किया गया जिसके तहत निदेशक सुनीता सिंह, कोऑर्डिनेटर चंदन कुमार एवं सी.एस.डब्ल्यू. संजय कुमार सिंह के अलावा अन्य सदस्य उपस्थित रहें। निदेशक सुनीता सिंह द्वारा बताया गया कि अठारह वर्ष की उम्र तक सभी बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे में निर्णायक भूमिका निभा सकती है क्योंकि 18 वर्ष से पहले पढ़ाई छोड़ने और बाल विवाह में एक सीधा और स्पष्ट अंतरसंबंध है। देश में बाल विवाह के खिलाफ जारी लड़ाई में परिवर्तनकारी साबित हो सकने वाला यह अहम निष्कर्ष देश में 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे 160 गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन बाल विवाह मुक्त भारत अभियान द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जारी एक शोधपत्र "एक्सप्लोरिंग लिंकेजेज एंड रोल्स ऑफ एजुकेशन इन एलिवेटिंग एट मैरेज फॉर गर्ल्स इन इंडिया" में उजागर हुआ है। शोधपत्र के अनुसार, भारत बाल विवाह की बुराई के 2030 तक खात्मे की राह में एक टिपिंग प्वाइंट यानी निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। टिपिंग प्वाइंट वह बिंदु होता है जहां से छोटे बदलावों और घटनाओं की श्रृंखला इतनी बड़ी हो जाती है जो एक बड़ा और आमूल परिवर्तन कर सकें। ऐसे में यदि 18 वर्ष की उम्र तक मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा एक वास्तविकता बन जाए तो बाल विवाह के अपराध को जड़मूल से समाप्त करने की इस लड़ाई को एक नई धार और दिशा मिल जाएगी। बक्सर में इस शोधपत्र के निष्कर्षों को जारी करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठन दिशा एक प्रयास ने कहा कि यद्यपि केंद्र व राज्य सरकार ने इस सामाजिक अपराध के खात्मे में प्रशंसनीय इच्छाशक्ति व गंभीरता दिखाई है, फिर भी बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई को धार देने के लिए कुछ और अहम कदम उठाने की दरकार है। दिशा एक प्रयास के निदेशक कुमारी सुनिता सिंह ने कहा कि फिलहाल राष्ट्र शिक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देने की जरूरत है और हम सरकार से बाल विवाह पर पूरी तरह प्रतिबंध की मांग करते हैं।
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