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संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत  स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग पटना विश्वविद्यालय में आज वर्तमान संदर्भ में शास्त्रों की उपादेयता विषयक संगोष्ठी संपन्न हुई।

संस्कृत सप्ताह समारोह के अंतर्गत स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग पटना विश्वविद्यालय में आज वर्तमान संदर्भ में शास्त्रों की उपादेयता विषयक संगोष्ठी संपन्न हुई।


22 अगस्त 2022 ।  इस संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रुप में अखिल भारतीय दर्शन परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो रमेश चन्द्र सिन्हा, मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य किशोर कुणाल जी, विशिष्ट अतिथि के रूप में पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो अशोक कुमार, सारस्वत अतिथि के रूप में मानविकी संकाय के प्रमुख प्रो तरुण कुमार एवं अन्य विभागों के शिक्षक, छात्र एवं संस्कृत-अनुरागी उपस्थित थे।

     मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य किशोर कुणाल ने कहा वे समस्त ग्रंथ जो अनुशासित करते हैं उन्हें शास्त्र की संज्ञा दी । शास्त्रों की उपादेयता को सिद्ध करते हुए उन्होंने गीता के कई श्लोकों का पाठ किया एवं इससे संबंधित प्रासंगिक अर्थों को श्रोताओं के समक्ष रखा । अपने छात्र जीवन के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि वे भी संस्कृत के विद्यार्थी थे एवं संस्कृत के प्रति उनका अटूट लगाव था । संस्कृत शास्त्रों को पढ़ने से ही उन्हें आगे कुछ विशेष करने की प्रेरणा प्राप्त हुई।

     मुख्य अतिथि के रूप में वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए प्रो. रमेश चंद्र सिन्हा ने शास्त्रों को जीवन में उतारने की प्रेरणा देते हुए कहा कि शास्त्र के अनुसार यदि आचरण किया जाए तो हम सब का जीवन खुशहाल होगा और साथ ही अनुशासित भी होगा शास्त्रों के पठन-पाठन से हम सदा प्रसन्न रहेंगे एवं अपनी भावी संतति के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकते हैं। सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो तरुण कुमार जी ने ऐसे कार्यक्रमों से शिक्षकों एवं छात्रों को  सीख लेने के लिए प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने कहा इस प्रकार के विशेष दिन में आयोजित कार्यक्रम सदा हमें ऊर्जा प्रदान करते रहते हैं एवं सही दिशा में कार्य करने के लिए हमें दिशा देते हैं। अतः ऐसे विशेष दिनों के कार्यक्रम सदा होते रहने चाहिए और हमें इनका कार्यक्रमों में भागीदारी करके मंथन के लिए तत्पर होना चाहिए।

        अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो लक्ष्मी नारायण ने समस्त ग्रंथों के पारायण पर बल दिया । उन्होंने संस्कृत भाषा को एक अच्छे नागरिक को व्यवस्थित रूप से गढ़ने का उपकरण बताया। उन्होंने साथ में यह भी कहा यदि कोई शास्त्र ना भी पढ़ पाए तो गीता का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। गीता के प्रत्येक श्लोक में समस्याओं का निराकरण है । यही कारण है कि बीए के पाठ्यक्रम में एक पेपर श्रीमद्भगवद्गीता को समर्पित उन्होंने समर्पित किया है।

संगोष्ठी से पूर्व विभाग के छात्रों ने स्तोत्र पाठ, मंत्र पाठ , एवं संस्कृत से संबंधित गीतों की प्रस्तुति दी।

       अतिथियों के निमित्त स्वागत वक्तव्य पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो अशोक कुमार , धन्यवाद ज्ञापन डॉ मुकेश कुमार ओझा जी तथा कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ हरीश दास ने किया।

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