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सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की साजिश है जातीय गणना - पप्पू वर्मा

सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की साजिश है जातीय गणना - पप्पू वर्मा

जोश भारत न्यूज|बिहार
पटना। पटना विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य पप्पू वर्मा ने राज्य सरकार द्वारा कराई गई जातीय गणना को राजनीति से प्रेरित और सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि गणना में विभिन्न जातियों की जो संख्या और प्रतिशत बताए गए हैं वह हास्यास्पद है। इस गणना से सामाजिक सौहार्द बिगड़ेगा। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर कराई गई इस गणना से गरीबों और बेरोजगारों का भला नहीं होने वाला है। अगर सरकार को विकास की इतनी ही चिंता है तो आर्थिक स्थिति और बेरोजगारी पर गणना क्यों नहीं कराई जा रही है। श्री वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार को अपने राज्य की जनता का न तो आर्थिक हित करना है और नहीं तो बेरोजगारी दूर करने की कोई मुकम्मल योजना है। सिर्फ समाज में जातियों को संख्या की दृष्टि से काम या अधिक दिखाकर सामाजिक सौहार्द बिगड़ने और राजनीतिक रोटी सेकने की मंशा से यह जातीय गणना कराई गई है। खासकरके कायस्थ जाति को एक साजिश के तहत उनकी संख्या को कम दर्शाया गया है। इस गणना से कायस्थ जाति समेत अन्य वर्गों में भी काफी आक्रोश है। क्योंकि कायस्थ जाति के लोगों का देश के स्वतंत्रता संग्राम एवं बिहार के नवनिर्माण में अहम भूमिका रही है। इस गणना से बिहार सरकार ने बिहार के विभूति डॉ राजेंद्र प्रसाद, सच्चिदानंद सिन्हा,संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण और देश एवं राज्य के प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे इस जाति के लोगों का घोर अपमान किया है और राजनीतिक साजिश के तहत इनको राजनीतिक भागीदारी से दूर रखने एवं आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव को देखते हुए यह भ्रामक सर्वे रिपोर्ट जारी किया गया है। श्री वर्मा ने राज सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द इस सर्वे रिपोर्ट को रद्द करें अन्यथा कायस्थ जाति संपूर्ण बिहार में सड़क से लेकर न्याय के दरवाजे तक इस रिपोर्ट के खिलाफ संघर्ष करेगी।

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