पटना के गोला रोड के पास नीलाम्बर भवन में भारत तिब्बत सहयोग मंच का 23वां स्थापना दिवस महिला विभाग की प्रांतिय उपाध्यक्ष नीलम चन्द्रवंशी की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
पटना के गोला रोड के पास नीलाम्बर भवन में भारत तिब्बत सहयोग मंच का 23वां स्थापना दिवस महिला विभाग की प्रांतिय उपाध्यक्ष नीलम चन्द्रवंशी की अध्यक्षता में संपन्न हुई। समारोह में उपस्थित भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय मंत्री शिवाकांन तिवारी ने कहा की चीन क्रुर नितियो विरोध में मंच की स्थापना हुई। 23 वर्ष पहले हिमाचल के धर्मशाला में संघ के वरिष्ठ प्रचारक माननीय इंद्रेश जी, दलाई लामा एवं अन्य संघ के वरिष्ठ लोगो के विचारों से मंच की स्थापना हुई। मंच तीन मुद्दो पर पुरे देश में काम कर रहा है, तिब्बत की आजादी कैलाश मानसरोवर की मुक्ति एवं चीन में बने समानों को भारत में विरोध करना। देश के सभी प्रदेशों में मंच द्वारा लगातार जनजागरण अभियान चलाया जा रहा है। तिब्बत के मुद्दे पर अमेरिका और ब्रिटेन सहित विश्व के कई देश चितिंत है। लगातार अंतराष्ट्रीय मंचो पर चीन से तिब्बत को आजादी करने की मांगे उठ रही है युएन में इसकी चर्चा हो रही है। क्रुर चीन तिब्बत के विरासत को नष्ट कर रहा है। तिब्बत की आजादी को लेकर लगभग 73 तिब्बती युवा आत्मदाह कर चुके है। संघ के लगभग 40 अंनुशांगिक संस्थाए वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश जी के संरक्षण में चल रहा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व विधान पार्षद सदस्य सह भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बालेश्वर सिंह भारती ने कहा कि 1950-52 तक तिब्बत स्वतंत्र था सुरक्षा के दृष्टीकोण से कवच है। भारत हमारी आजादी 1947 में हुई। मंच 23 वर्ष का हो गया है। तत्कालिन प्रधानमंत्री के गलत्तियों के कारण तिब्बत चीन का गुलाम हो गया। चीन में तिब्बत में नरसंहार किया है। तिब्बत की आजादी को लेकर भारत चिंतित है। 25वां स्थापना दिवस हिमाचल के धर्मशाला में मनाया जाएगा। हर वर्ष मंच द्वारा गौहाटी से चीन के बोर्डर तवांग तक यात्रा की जाती है।
मंच के प्रांणतिय अध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने कहा की देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है कि सबका साथ सबका विकास। मंच के सारे कार्यकर्ता द्वारा चलाए जा रहे जनजागरण अभियान से तिब्बत आजाद भी होगा एवं कैलाश मानसरोवर मुक्त भी होगा। इंद्रेश जी के सपनो को हम सभी कार्यकर्त्ताओं को मिलकर साकार करना है।
समारोह को संबोधित करते हुए प्रज्ञा प्रवाह के प्रांतिय सहयोजक कृष्णकांत ओझा ने कहा कि विश्व के व्यापार का भारत का हिस्सा 30 प्रतिशत होता है। भारत ज्ञान का संग्रह है। वेद की रचनाएं तिब्बत में हुआ है। तिब्बत की संस्कृति संकट में है। तिब्बत ज्ञान का केंद्र था चीन संपूर्ण मानवता का विरोधी हो गया है।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. मुकेश ओझा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन मनिष झा ने किया। मुख्य रूप से कार्यक्रम में कृष्ण कुमार गुप्ता, नरेश महतो, राकेश ठाकुर, आलोक सिन्हा, सुनीता सिन्हा, अनिता सिंह, माला सिन्हा, ममता साह, नमोनारायण सिंह, रामनारायण पाठक, प्रदिप मिश्र, अशोक कुणाल, अमरेन्द्र ओझा, तारकेश्वर राम तुफानी सहित सैकड़ों कार्यकर्त्ता उपस्थित रहे।
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