( रामनवमी 2022 ) कविता - सिर्फ एक नाम नहीं श्री राम का
सूर्यवंशी का कोई सूर्य उदय हुआ नहीं था,
राजा दशरथ ने भी निवारण का लाख प्रयत्न किया।
गुरु वशिष्ठ ने फिर हल सुझाया पुत्रेष्टि यज्ञ का,
तब जाकर राम,लक्ष्मण,भरत, शत्रुघ्न से पुरा अयोध्या खिलखिलाया।
लेखक - अमन कुमार |
धरती क्या अंबर भी झुम उठा सुनकर श्री राम के जन्म का,
आम आदमी क्या स्वयं प्रभु भोलेनाथ भी पधारे लेकर भेष मदारी का।
भक्तों में भी भक्त हनुमान कहलाये श्रीराम का,
उनके दर्शन मात्र के लिए खुद को तपस्या में लीन किया।
वनवास का फैसला मान रखा लाज पिता के वचन का,
अर्द्धांगिनी सीता और अनुज लक्ष्मण संग 14वर्षों के वनवास के लिए चल दिया।
देखकर रूप राम का मनमोहित हो उठा सुर्पनखा का,
अनंत समझाया सुर्पनखा को अंतः लक्ष्मण के हाथों नाक कटवाया।
चिखती चिलाती पहुंची रावण के दरबार में
क्रोध आया रावण को देखकर आंसू बहन का ,
तलाश में उस तपस्वी के रावण के क्रोध से पुरा लंका दहलाया।
जा पहुंचा सिता के कुटिया लेकर भेष साधु का,
फिर बदले के भाव से सीता को हरण कर ले गया ।
चल पड़े तलाश में श्री राम लेकर सेना वानरों का,
श्री राम नाम के पाषाण से बने पुल से समुंद्र भी छोटा पड़ गया।
नौ दिनों तक किया आराधना माँ देवी दुर्गा का,
लेकर आशीर्वाद मां महायुद्ध में रावण को परास्त किया।
कर विनाश रावण का ,
सत्य की विजय हुई पुरे जगत को बतलाया।
कर सम्मान हर धर्म का,
पुरे जगत में मर्दों में पुरूषोत्तम कहलाया।
मर्यादाओं के इतने पक्के कि हुआ अग्नि परीक्षा मां सीता का,
प्रजा के मात्र एक आवाज पर संज्ञान लिया।
ना लगे कोई दाग़ अमर्यादित पुरूषोत्तम होने का,
अग्नि परीक्षा होते ही मां सीता ने वनवास का फैसला लिया।
सिर्फ एक नाम नहीं श्री राम का,
कंकाल से बने काया की जीवात्मा है।
जब भी लेता कोई नाम श्री राम का,
उसने हर पापों से मुक्ति है पाया।
लेखक - अमन कुमार
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