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( रामनवमी 2022 ) शीर्षक:-  "राम-सा"

( रामनवमी 2022 ) शीर्षक:- "राम-सा"

 


त्रेता युग में राम राजनीति से जितना दूर रहे,कलयुग में राम उतना ही ज्यादा सक्रिय हैं। संविधान के अनुसार हमारा भारत एक धर्म-निर्पेक्ष और समाजवादी राष्ट्र है, पर "श्री राम" का नाम आते ही सारी संवैधानिक बातें प्रस्तावना तक ही सीमित रह जाती हैं। एक बार राम की भांति आदर्श और आचरण अपना कर देखिए,क्युँकि उसके बाद प्रभु राम के नाम से ना तो आपको आपत्ति होगी और न ही धर्म की राजनीति की आवश्यकता रहेगी ।


बाकि,कविता पढ़कर विचार करिए कि आखिर "कौन हैं राम"?

लेखक  - आदित्य कृष्णा



     शीर्षक:-  "राम-सा"


राम नाम के होड़ में 

राम-सा हुआ न कोई,

और...

राम भक्त के दौड़ में

हनुमान भी हुआ न कोई।


अपने कुल की रीत की खातिर,

पितृ-वचन से प्रीत की खातिर,

छोड़ दिया वो सबकुछ,

जिनपर था उनका अधिकार 

है आज के युग में बड़ा ही दुर्लभ ,

अपनाना राम-सा संस्कार ।।


निश्छल, पवित्र,वियोग,विरह

प्रेम की असल परिभाषा यही है,

वैदही को छोड़ ह्रदय में ,

राम के कोई बसा नहीं है।


धर्म-जात के नाम पर ,

हम लड़ जाते हैं राम पर,

हम भुले केवट,भुले शबरी

भुल गए हम सारी बात,

अरे हम तो ये भी भुल गए हैं

सब एक वृक्ष के ही हैं पात।।


मर्यादा सारी तोड़ दी हमने

पुरूष में उत्तम रहा न कोई,

त्याग, प्रेम और वचन-समर्पण

निभाने वाला इस जग में ,

फिर राम-सा हुआ न कोई।।।


खैर,

अपनाकर आचरण जैसे राम,

भुलकर सारे दुःख,कष्ट तमाम

कर दिजिए उद्घोष सभी

एक ही नारा,एक ही नाम

जय जय श्री राम

जय जय श्री राम ।।।

                     लेखक  -आदित्य कृष्णा

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