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डॉ. नीलम श्रीवास्तव के गीत संग्रह "बात करती शिलाएं" का हुआ लोकार्पण

डॉ. नीलम श्रीवास्तव के गीत संग्रह "बात करती शिलाएं" का हुआ लोकार्पण

 


 पटना। नीलम श्रीवास्तव के गीत उनके लंबे अनुभवों से सृजित हैं जिनमें मानवीय मूल्यों की प्रधानता है। उन्होंने प्रेम गीतों के अतिरिक्त सामाजिक विसंगतियों, राष्ट्र- राज्य भक्ति आदि को भी शब्द प्रदान किया है। यह बातें सोमवार को एक स्थानीय होटल में प्राध्यापिका एवं विदुषी कवयित्री डॉ. नीलम श्रीवास्तव के गीत संग्रह "बात करती शिलाएं" के लोकार्पण-समारोह की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री डॉ. उषा किरण खान ने कही। उन्होंने नीलम श्रीवास्तव को अत्यंत प्रतिभाशाली कवियित्री बताते हुए कहा कि इस संग्रह में कथ्य और शिल्प दोनों का समुचित निर्वहन किया गया है।


समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ से पधारे हास्य के प्रतिष्ठित कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दूबे ने कहा कि कवयित्री नीलम श्रीवास्तव का गीत संग्रह अत्यंत उच्च कोटि की रचनाओं का समूह है।

इनके गीतों में विविधता, सकारात्मकता, लयात्मकता और रागात्मकता का उत्कृष्ट सम्मिलन है।



 प्रसिद्ध अफसानानिगार एवं शायर क़ासिम खुर्शीद ने कहा कि नीलम जी के इस गीत संग्रह का शीर्षक "बात करती शिलाएं" अपने आप में बहुत कुछ कहता है। इन बात करती शिलाओं से बात करके सुकून का एहसास तो होता ही है, एक बेचैनी भी होती है।


प्रतिष्ठित कवि एवं उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार ने कहा कि सहज साधारण भाषा में बड़ी कविता का सृजन आसान नहीं होता। ऐसे में कवयित्री ने विभिन्न विषयों पर ऐसे गीतों की रचना की है जो सहज ही जुबान पर आ जाने वाले हैं।


पुस्तक की समीक्षा करते हुए संजय कुमार कुंदन ने कहा कि कवयित्री ने जीवन, प्रकृति एवं संवेदनाओं के एक भी पक्ष को अछूता नहीं छोड़ा है. दूसरी बात इन्होंने अपनी सशक्त लेखनी से हिंदी कविता के लगभग लुप्तप्राय छंद की विधा को पुनर्जीवित किया है. इनकी कविताएं सहज ग्राह्य एवं गेय हैं। 


दूरदर्शन बिहार के निदेशक राजकुमार नाहर ने गीत संग्रह के गीतों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

इस अवसर पर वरिष्ठ कवि भगवती प्रसाद द्विवेदी, वरिष्ठ साहित्यकार भावना शेखर, कथाकार/साहित्यकार एवं शिक्षाविद ममता मेहरोत्रा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इससे पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए लोकप्रिय युवा शायर अस्तित्व अंकुर ने बताया कि उक्त संग्रह में कवयित्री द्वारा वर्ष 1978 से 2020 तक के लंबे कालखंड में विविध विषयों पर रचित 64 गीत सम्मिलित हैं।


कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, लोकार्पित पुस्तक की कवियित्री/गीतकार डॉ. नीलम श्रीवास्तव ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया। 


मौके पर पूर्व अधिकारी आनंद बिहारी प्रसाद, सूरज सिन्हा, आराधना प्रसाद, श्वेता मिनी, अर्चना आर्यन, मुकेश ओझा, कमल नयन श्रीवास्तव, पूजा साहा, रेखा सिंह, पंकज प्रियम, नम्रता आनंद, विभा रानी श्रीवास्तव, प्रेम कुमार, मधुरेश नारायण, शैलेश तिवारी, पूनम सिन्हा, संपन्नता बरूण, रेखा भारती मिश्रा, सदफ इकबाल, प्रदीप देव आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन किया दूरदर्शन की प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय एंकर प्रेरणा प्रताप ने तथा धन्यवाद ज्ञापन किया प्रसिद्ध शायर एवं राज्य कर सहायक आयुक्त समीर परिमल ने।

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