
स्वर कोकिला लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि
यस्या:कण्ठं स्वरा: शुद्धा यान्ति स्म सत्वरं सदा।
प्रसिद्धयर्थं च लोकेषु विलीना तेषु सा लता ।।
अर्थात संसार में प्रसिद्ध होने के लिए जिसके कण्ठ में शुद्ध स्वर सदा अविलंब करते थे,आज वही लता जी उनमें विलीन हो गयो। यह बात लता मंगेशकर जी के निधन पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव एवं भारत तिब्बत सहयोग मंच दक्षिण बिहार प्रांत के महामंत्री डॉ मुकेश कुमार ओझा ने कहा। उन्होंने कहा कि यह क्षति न केवल भारत के लिए अपितु विश्व के सभी लोगों के लिए है। लगभग ६दशक से अपनी जादुई आवाज के माध्यम से २०से अधिक भाषाओं में हजारों गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाली सरस्वती पुत्री विदा हो गई।ऐ मेरे वतन के लोगों गीत तो भारत के सभी लोगों के दिलों में है। सम्पूर्ण संस्कृत समाज की ओर से विनम्र नमन।
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