 
बिहार की सामाजिक छवि पर दाग | नशे की गिरफ्त में बचपन: ऋतिक राज वर्मा।
पटना रेलवे स्टेशन और महावीर मंदिर परिसर में भीख मांगने वाले बच्चे दिनभर भीख मांगकर जो पैसा एकत्र करते हैं, उसका उपयोग वे व्हाइटनर, बोनफिक्स, और अन्य नशीले पदार्थों को खरीदने में करते हैं। ये बच्चे 10 से 17 वर्ष की आयु के बीच के हैं। ये पदार्थ आसानी से उपलब्ध होते हैं और महज 20 रुपये में मिल जाते हैं, जो इन बच्चों के लिए नशे का सस्ता माध्यम बन गए हैं। रेलवे स्टेशन क्षेत्र में भिखारियों पर गिरोहों का भी नियंत्रण है।
जानकारी के मुताबिक, महावीर मंदिर परिसर में नियमित रूप से भीख मांगने वाले बच्चों और युवाओं को अपनी दैनिक कमाई का 60 से 70 प्रतिशत हिस्सा गिरोह के सदस्यों को देना पड़ता है। बचे हुए पैसों से वे खाने पीने के साथ साथ नशीले पदार्थ भी खरीदते हैं। यह समस्या न केवल बच्चों के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए खतरनाक है, बल्कि बिहार की सामाजिक और प्रशासनिक छवि को भी नुकसान पहुंचा रही है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, सामाजिक युवा कार्यकर्ता (युवा पत्रकार) रितिक राज वर्मा ने पटना जंक्शन और हनुमान मंदिर परिसर में कड़ी निगरानी और रोकथाम के उपाय लागू करने की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से इन बच्चों के नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना, और गिरोहों पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब तक इस समस्या की जड़ पर प्रहार नहीं किया जाएगा, तब तक बिहार की छवि को नुकसान पहुंचता रहेगा। उन्होंने प्रश्न किया कि अगर सड़क पर रहने वाले बच्चे इन पदार्थों का उपयोग नशे के लिए करना जानते हैं, तो मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे भी इन पदार्थों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता अभियान, पुनर्वास केंद्रों की स्थापना, कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी, और सामाजिक संगठनों का समर्थन शामिल है।
बिहार सरकार ने हर जिले में नशा मुक्ति और पुनर्वास केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। पटना में 2024 के अंत में पुलिस ने महावीर मंदिर क्षेत्र में नशेड़ियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की थी। यह मुद्दा न केवल बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी को भी चुनौती देता है। पटना जंक्शन और हनुमान मंदिर जैसे धार्मिक और सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
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