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भगवान परशुराम की जन्म स्थली जलालाबाद को पर्यटन स्थल घोषित कर उसका नाम बदलकर परशुराम पुरी किये जाने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद "अरूण दीक्षित " नोएडा-3 सितम्बर

भगवान परशुराम की जन्म स्थली जलालाबाद को पर्यटन स्थल घोषित कर उसका नाम बदलकर परशुराम पुरी किये जाने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद "अरूण दीक्षित " नोएडा-3 सितम्बर


भगवान परशुराम सेवा संस्थान द्वारा संचालित सामाजिक संगठन सामाजिक चेतना मंच के अंग के रूप में संचालित सगंठन ब्रहम समाज एकता समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरूण दीक्षित ने नोएडा केम्प कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान विष्णु के छटवें अवतार ब्राहमण कुल शिरोमणि भगवान परशुराम की जन्म स्थली जलालाबाद जनपद शाहजहाँपुर उत्तर पदेश को सगठन की मांग पर पहले पर्यटन स्थल घोषित करनें और अब उसका नाम बदलकर परशुरामपुरी किये जाने के लिए मैं अपने संगठन की ओर से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व एवं केन्द्र सरकार को कोटि-कोटि धनयवाद ज्ञापित करता हूँ।

श्री दीक्षित ने कहा कि इसके लिए मेरे नेतृत्व में संगठन द्वारा 2007 से आन्दोलन प्रारम्भ किया गया था, जिसका उद्देश्य जलालाबाद का नाम भगवान परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि के नाम पर जमदग्नि नगर करने तथा जलालाबाद का नाम बदलकर परशुरामपुरी करके, इसे अयोध्या, मथुरा, काशी, की तरह विकसित कर विश्वव्यापी तीर्थ स्थल बनाये जाने का थाI इस आन्दोलन में कु० अमितराज दीक्षित, श्रीमती कनप्रिया शर्मा, महन्त सत्यदेव पाण्डेय, संजय पाठक, गोपाल जी सभासद, डॉ० प्रमोद मिश्रा, डॉ० शहाब अहमद एवं स्व० ठाकुर अजय सिंह राजा परौर स्व० समीर मिश्रा तथा स्व० रामसेवक शुक्ला प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संगठन के पदाधिकारियों का अहम सहयोग मुझे प्राप्त हुआ।

श्री दीक्षित ने कहा कि उस समय केन्द्र में काग्रेस की सरकार थी और शाहजहाँपुर के सांसद जितिन प्रसाद उस समय केन्द्र में मंत्री थे, उ०प्र. में उस समय बसपा की सरकार सतीश चन्द्र मिश्रा के सहयोग से चल रही थी, तब हमारे द्वारा उक्त दोनों महानुभावों को इस सम्बन्ध में मांगपत्र प्रदान किये गये, परन्तु जब उनके द्वारा इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी तब मजबूर होकर मैने दिनांक 29-09-2007 को लखनऊ प्रेस क्लव में एक प्रेस वार्ता आयोजित कर इसके लिए राष्ट्रव्यापी आन्दोलन की घोषण कर समस्त उ०प्र० में जनजाग्रति यात्रा निकाली गयी।

श्री दीक्षित ने आगे कहा कि इस जनजाग्रति यात्रा का सैफई के अन्तर्गत समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्वारा स्वागत कर घोषणा की गई कि भगवान परशुराम की जन्मस्थली के विकास के लिए नेताजी ने जो एक करोड इक्कीस लाख रूपये की घोषणा की थी और उसे बसपा सरकार द्वारा अवमुक्त नहीं किया गया है, उसकी पूर्ति मैं अपने राज्य सभा सांसद एवं विधान परिषद सदस्यों की निधि से कराऊंगा और यदि आपके सहयोंग से 2012 में सपा की सरकार बनी तो सारे प्रस्ताव स्वीकार कराऊँगा।

श्री दीक्षित ने कहा कि उ०प्र० के ब्राहमणों के अनुरोध पर 01 फरवरी 2008 को शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द महाराज एवं नेमिष पीठास्वर स्वामी उपेन्द्रानन्द सरस्वती महाराज तथा देश के कोने-कोने से उपस्थित लाखों परशुराम भक्तों की उपस्थिति में जन्म स्थली के जीर्णोत्थान की आधारशिला मेरे द्वारा रखी गई, इस अवसर पर जितिन प्रसाद एवं जयस प्रसाद तथा मिथलेश द्वारा अपनी-अपनी निधि से पांच पांच लाख रूपया इसके लिए प्रदान करने की घोषणा की गई, परन्तु खेद का विषय है कि केवल मिथलेश की निधि की धनराशि प्राप्त हुई शेष अपनी घोषणा से विमुख हो गयें।

श्री दीक्षित ने कहा हमारा यह आन्दोलन निरन्तर जारी रहा, और 2017 में भाजपा सरकार बनने पर पुनः भाजपा सरकार को उक्त मांग पत्र प्रदान किया गया जिस पर तत्कालीन पर्यटन मंत्री प्रो० रीता बहुगुणा जोशी द्वारा अपने मंत्रालय से दो करोड रूपया प्रदान किया गया, जिससे सरोबर के घाटों का निर्माण हुआ इसके अलावा भाजपा सरकार द्वारा भी कुछ नहीं किया गया, 20 दिसम्बर- 2021 को मैनें अपने संगठन के पदाधिकारियों के साथ भाजपा की सदस्यता राष्ट्रीय अध्यक्ष जे०पी० नड्डा जी के करकमलों से प्राप्त की, और उस समय पुनः उक्त मांगपत्र उन्हें प्रदान किया, परन्तु चुनाव आचार संहिता लगनें के कारण कोई कार्यवाही नहीं हो सकी।

श्री दीक्षित ने आगे कहा कि दोबारा उ०प्र० में भाजपा सरकार बनने पर मैनें दिनांक 20-07-2022 को पुनः उक्त मांगपत्र तत्कालीन उपमुख्यमंत्री डॉ० दिनेश शर्मा की संस्तुति सहित मुख्यमंत्री जी को प्रदान किया, परन्तु फिर भी इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं हुई तब तत्कालीन राज्य सभा सदस्य शिव प्रताप शुक्ल डॉ० अशोक बाजपेई, सांसद डा० महेश शर्मा, प्रो. रीता बहुगुणा जोशी, राज्यसभा सांसद डा० लक्ष्मी कान्त बाजपेई आदि ब्राहमण नेताओं के साथ मिलकर जे०पी० नड्डा से सम्पर्क कर उक्त मांगें पूर्ण न होने पर देश व्यापी आन्दोलन प्रारम्भ करने की बात रखी गई तब केन्द्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप से जन्मस्थली को पर्यटन स्थल घोषित कर 500 किलोमीटर के दायरे की परशुराम तीर्थ सर्किट बनाये जाने की घोषणा हुयी और अब जललाबाद का नाम परिवर्तित कर परशुरामपुरी किया गया है। 

श्री दीक्षित ने कहा कि अभी हमारा लक्ष्य पूर्ण नही हुआ है इस अपूर्ण सफलता का श्रेय अपनी राजनीति चमकाने के लिए कोई ले ले इससे हमें कोई आपत्ति नहीं है हमारा उद्देश्य तो सभी मांगों को धरातल पर उतारना है, जब तक उक्त घोषणाओं का धरातल पर क्रियान्व्यन नही हो जाता है, तथा शाहजहाँपुर का नाम भी बदलकर जमदग्नि नगर करके भगवान परशुराम की जन्म स्थली को विश्व स्तरीय तीर्थ स्थल नहीं बनाया जाता है, तब तक हमारा सघर्ष जारी रहेगा।

प्रेस वार्ता के समय संगठन के मुख्य संरक्षक हिमान्चल एवं राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र एवं भारतीय अल्पसंख्यक कल्याण मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० शहाब अहमद तथा भारतीय साहू समाज कल्याण मंच के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुमार साहू मौजूद रहे।


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