-->

Translate

नेपाल संकट का समाधान भारत ही निकाल सकते हैं- सोनू द्विवेदी

नेपाल संकट का समाधान भारत ही निकाल सकते हैं- सोनू द्विवेदी

जोश भारत न्यूज|बिहार
नेपाल संकट का समाधान भारत ही निकाल सकते हैं- सोनू द्विवेदी 

सोनू द्विवेदी

बक्सर। पिछले तीन-चार वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में जिस तरह से सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक भूचाल आया है, उसने पूरे दक्षिण एशिया की तस्वीर बदल डाली है। पाकिस्तान में इमरान खान की बेदखली से शुरू हुई कहानी श्रीलंका के आर्थिक संकट और गोटबाया राजपक्षे की विदाई तक पहुंची, फिर बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी और अब नेपाल में केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। यह सब संयोग नहीं है, बल्कि एक पैटर्न है, जिसे नजरंदाज करना मुश्किल है। खासकर यह देखते हुए कि ये सभी घटनाक्रम हमारे आस-पास हो रहे हैं।

नेपाल में अचानक भड़के जेन-जी प्रदर्शनों ने दिखा दिया है कि आज की युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के जरिये कितनी तेजी से संगठित हो सकती है। सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध से भड़की आग इतनी फैल गई कि सड़कों पर खून-खराबा शुरू हो गया और प्रधानमंत्री को सत्ता छोड़नी पड़ी। सवाल यह है कि क्या केवल एक प्रतिबंध से इतना बड़ा विस्फोट संभव है या इसके पीछे कोई विदेशी ताकत काम कर रही है? नेपाल पिछले दो दशकों से चीन और अमेरिका के बीच खींचतान का मैदान रहा है। ओली खुले तौर पर चीन समर्थक माने जाते थे और हाल ही में उन्होंने चीन के मिलिट्री परेड समारोह में शामिल होकर और शी जिनपिंग से मुलाकात करके यह संदेश साफ-साफ दिया भी था। ऐसे में, अमेरिका की बेचैनी स्वाभाविक थी। मगर यह केवल नेपाल की कहानी नहीं है। श्रीलंका और बांग्लादेश में भी जनता ने नेताओं के घरों में घुसकर आगजनी और तोड़फोड़ की। श्रीलंका में राष्ट्रपति भाग गए, बांग्लादेश में प्रधानमंत्री को देश छोड़ना पड़ा। यानी, हर जगह युवाओं ने नेतृत्व किया और महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी जैसी घरेलू समस्याओं के खिलाफ शुरू हुआ उनका प्रदर्शन जल्द ही विदेशी ताकतों की खींचतान से जुड़ गया।

भारत के लिए यह घटनाक्रम केवल पड़ोस की राजनीति नहीं है। यह हमारी सुरक्षा, हमारी कूटनीति और हमारे आर्थिक हितों से जुड़ा सवाल है। नेपाल और बांग्लादेश की अस्थिरता सीधे हमारी सीमाओं को प्रभावित करती है, अमेरिका और चीन की खींचतान हमें कूटनीतिक संतुलन साधने के लिए मजबूर करती है, और पड़ोसी देशों का संकट हमारे व्यापार एवं निवेश को चोट पहुंचाता है। आज जब एशिया नए शक्ति समीकरण का गढ़ बन गया है, तब भारत को मूकदर्शक बनकर नहीं रहना चाहिए । नेपाल में हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री का मांग हो रहा है, वहाँ के युवाओं, महिलाओं और व्यवसाई वर्ग चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि मोदी हमारी रक्षा करें,नेपाल हिंदू राष्ट्र है और हमारे देश के प्रधानमंत्री वही हो सकते जो हिंदू धर्म की रक्षा कर सकते है जैसे मोदी जी है ।

0 Response to "नेपाल संकट का समाधान भारत ही निकाल सकते हैं- सोनू द्विवेदी"

एक टिप्पणी भेजें

advertising articles 2

Advertise under the article