
83 वें पुण्यतिथि पर याद किए गए स्वतंत्रता सेनानी शहीद दीपन प्रसाद मौआर।
बिहटा। आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले राघोपुर निवासी क्रांतिकारी दीपन प्रसाद मौआर की 83 वें पुण्यतिथि पर मंगलवार को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में उनके पौत्र डॉ. ललित मोहन शर्मा, पौत्रवधू श्रीमती आशा शर्मा, जेपी सेनानी राम प्रवेश सिंह, अजित सिंह, डॉ. निहाल, समाजसेवी रिंकू सिंह, निर्मल कुमार मिश्रा, रत्नेश्वर मिश्रा, मनोज कुमार सिंह, मुन्ना यादव, वार्ड पार्षद संजेश कुमार, सोनू कुमार, मुकेश कुमार मिल्की, निशांत सहित योग मंडली के सभी सदस्य एवं क्षेत्र के प्रबुद्ध लोग उपस्थित रहें।
कार्यक्रम में बिहटा संघर्षशील पत्रकार संघ सहित उपस्थित लोगों ने एक स्वर में मांग किया गया कि बिहटा के राघोपुर तिनमुहानी पर स्वतंत्रता सेनानी दीपन मौआर की आदमकद मूर्ति स्थापित की जाए और उसका नामकरण किया जाए। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि 19 अगस्त 1942 का दिन इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बिहटा के राघोपुर निवासी क्रांतिकारी टीपन मौआर ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी शहादत केवल एक बलिदान नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए साहस और देशभक्ति की अमर मिसाल है।
वक्ताओं ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम की लपटें जब पटना जिले में भड़क रही थीं, तब बिहटा भी इससे अछूता नहीं था। राघोपुर की गलियों में भारत छोड़ो के नारे गूंज रहे थे, रेल पटरियां उखाड़ी जा रही थीं और सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा फहराने का जुनून चरम पर था। ऐसे ही माहौल में टीपन मौआर ने अंग्रेजी हुकूमत की लाठियों और गोलियों का डटकर सामना किया। गोली लगने के बाद भी वे पीछे नहीं हटे और अंततः शहीद हो गए।
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