
मुंबई की गलियों से सऊदी के जुमेराह तक: अब्दुल की प्रेरणादायक कहानी
मुंबई के एक छोटे से मोहल्ले में रहने वाला अब्दुल कुरैशी बचपन से ही खास था। उसके पिता मटन बेचकर घर चलाते थे और मां गृहिणी थीं। उसे खाना बनाने का शौक था, और होटल मैनेजमेंट कोर्स करना था. जब अब्दुल ने होटल मैनेजमेंट कोर्स के बारे में जाना, तो उसे पता चला कि इस कोर्स की फीस लाखों में है। इतनी भारी फीस का पता चलते ही अब्दुल को ऐसा महसूस हुआ मानो उसका शेफ बनने का सपना अधूरा ही रह जाएगा।
ख्वाबों की ओर पहला कदम
एक दिन, अब्दुल के दोस्त ने उसे युवा परिवर्तन के हॉस्पिटैलिटी कोर्स के बारे में बताया। यह खबर सुनकर अब्दुल के चेहरे पर उम्मीद की एक चमक आ गई। उसने तुरंत कोर्स में दाखिला लिया। सिर्फ एक महीने की ट्रेनिंग ने उसकी जिंदगी बदल दी। अब्दुल ने न केवल होटल इंडस्ट्री की बारीकियां सीखीं, बल्कि इंग्लिश बोलने, कस्टमर्स से बात करने और एफ एंड बी सर्विसेस का भी गहरा ज्ञान हासिल किया।
पहला बड़ा मौका
ट्रेनिंग खत्म होने के बाद, अब्दुल को मुंबई के फोर सीजन्स होटल में एक साल की एप्रेंटिसशिप करने का मौका मिला। वहां उसने सीखा कि किचन में काम करना उसकी असली पसंद है। फोर सीजन्स का अनुभव उसके हुनर को तराशने में बेहद काम आया।
जुमेराह तक की उड़ान
आज अब्दुल सऊदी अरब के जुमेराह होटल में किचन डिपार्टमेंट में काम कर रहे हैं। और 35,000 रुपये प्रति महिना कमा रहे हैं। वह अपने परिवार को हर महीने अच्छी आर्थिक मदद भेजते हैं। उनके माता-पिता आज गर्व से सिर ऊंचा करके कहते हैं, "हमारे बेटे ने हमारी जिंदगी बदल दी।"
अब्दुल का कहना है,
"मुझे खाना बनाने का हमेशा शौक था। जुमेराह में मैंने इंटरनेशनल वेज और नॉन-वेज कुकिंग की बारीकियां सीखी। फोर सीजन्स होटल का अनुभव मेरे लिए वरदान साबित हुआ। अब मैं कस्टमर से बेहतर तरीके से पेश आ सकता हूं और मेरी इंग्लिश भी बहुत सुधर गई है।"
आपकी जिंदगी भी बदल सकती है!
अगर आप भी अब्दुल की तरह अपनी जिंदगी बदलना चाहते हैं, तो युवा परिवर्तन का हॉस्पिटैलिटी कोर्स आपकी मदद कर सकता है। इस कोर्स के जरिए आप न सिर्फ भारत में, बल्कि दुबई, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों के 5-स्टार होटलों में भी काम कर सकते हैं। तो देर किस बात की? आज ही कदम बढ़ाएं और अपने सपनों को हकीकत में बदलें!
0 Response to "मुंबई की गलियों से सऊदी के जुमेराह तक: अब्दुल की प्रेरणादायक कहानी"
एक टिप्पणी भेजें