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गाँव की शादियों से गायब हो रहे संस्कार :- अभिमन्यु राय
जोश भारत न्यूज|बिहार
सहसे हमारे गाँव आज के समय और संस्कार के बिच शहरों की तरह संस्कारो को गवा रहे हैं। हमारे गाँव मे सगे संबंधियों का स्वागत जिस प्रेम और संस्कार से किया जाता था। वो आज बहुत दूर बिछड़ गया हैं। हमारे पुराने रीति रिवाजों को लोग, ताख पर रख कर शहर के अमीर और पैसे वालों के तरह, गाँव के लोग खेत बेच कर और कर्ज लेकर खुद को और गाँव के प्रेम और संस्कार को लोग बर्बाद कर रहे हैं। शहरों के तरह अब गाँव में भी होने लगी है फ़ैसन की नंगी नाच, साड़ी होने लगी गायव, जिस व्यवस्था को शहरो में जगह की कमी के कारण करते थी (बफ़र सिस्टम) आज उसे गाँव के लोग फ़ैसन समझकर हमारे पुराने संस्कारी और प्रेम को गवा रहे हैं। जब आवे बाबाजी से अंगिया और नाऊ से विजे। तब जाके देयाद लोटा लेके देयाद के पुड़ी खींचे।
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