साहित्य समागम में युवा लेखक प्रियेश सिंह की रचना “हाँ हम बिहारी है” से गूंज उठा गांधी मैदान
पटना। हिंदी की कविताओं ने जहां दिलों को छुआ, शायरी की जुबानी मोहब्बत की मुनादी होते ही गजलों में लोग डूबने लगे। कुछ ऐसा ही नजारा शहर के गांधी मैदान में बिहार फूड फेस्टिवल द्वारा रविवार को आयोजित साहित्य समागम के आयोजन के दौरान देखने को मिला। इस दौरान देशभर के नामी-गिरामी बड़े कवि-शायरों ने रचनाओं से लोगों का दिल ही जीत लिया। ज्ञान की भूमि पटना में एक ओर आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे तो दूसरी ओर काव्य की दुनियां के सितारों से मंच रोशन हो रहा था। अपने चहेते कवियों को सुनने के लिए शाम से ही लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।
साहित्य समागम के विशाल मंच का संचालन करते हुए निखिल कुमार ने कवियों का परिचय कराते हुए जब प्रियेश सिंह को मंच पर आमंत्रित किये और उन्होंने जैसे ही अपनी रचना की शुरुआत “हाँ हम बिहारी है” से किये तो पूरा गांधी मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। वही प्रियेश सिंह की अलग अलग रचना की प्रस्तुति ने लोगों का दिल जीत लिया। जिसके बाद देश के विभिन्न कोने से आये अभिषेक सिंह, दिव्याशु सिंह, करण जीत और शोभित राज ने अपनी अपनी कविता पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे-जैसे रात्रि ढलती गयी वैसे-वैसे सुरमयी शाम परवान पर चढ़ता गया। कार्यक्रम देर रात तक चला और इसी तरह अन्य कवियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुनाई।
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