कबीर मठ में, हो सकता है खुनी खेल:मामला पहुँचा फतुहा थाना
जमीन लुटेरों की गिद्ध दृष्टि लगा है कबीर मठ के बचें खुचे जमीन पर
जिस कबीर पंथ में जाति धर्म छुआ-छूत, ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं है उसी कबीरपंथी मठों में सर्वाधिक प्रतिष्ठित आचार्य गद्दी कबीर मठ फतुहा में जाति भेद छुआछूत के कारण महादलित वर्ग के पुजारी कोठारी अपमानित हुए हैं। कबीरपंथी पुजारी को जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए अपमानित किया गया। भद्दी भद्दी गालियां देकर मारपीट करके मठ से निकाल दिया गया है। यह सभी बुजुर्ग संत पुजारी मुसहर जाति(महादलित) है।
इस संबंध में फतुहा थाना को 3 सितंबर को आवेदन दिया गया
जिसमें पुजारी सोहावन मांझी कोठारी कामेश्वर मांझी दास और कोतवाल कौशल मुनि ने थानाध्यक्ष से आपबीती बताते हुए कहा कि 2 सितंबर को दिन में 2:00 बजे सुनील यादव ,परमानंद यादव मठ पर आया अपने साथ-लाये 10-15
असामाजिक तत्वों से कहा-
साले दोनों मुसहरवा को जान से मार दो। यह मादर#द सब आए हैं, कबीर मठ में पूजा करने हमारे मठ को अछूत कर दिया है।
इस पर बदमाशों ने थप्पड़, घूसा, पिस्टल के बट से मारते हुए मठ से बाहर कर दिया हम लोग कहते रहें गये कि हम जीवन भर कबीर पंथ में रहकर पंथ की परंपरा अनुसार पूजा-पाठ भजन आदि करता रहा हूं।
हमे मठ में रहने दिया जाए
किंतु उन लोगों ने कहा साले तुम लोग मठ को अछूत कर दिया जाओ साले मुसहर तुम पुजारी नहीं रहेगा। अब हम लोग सड़क पर आ गए हैं
शासन प्रशासन से आग्रह है कि
हमें न्याय दिया जाए ताकि वृद्धावस्था भी हम कबीरपंथी साधु के रूप में फतुहा मठ में रह कर बिता सके ।हमें कबीरपंथी मठ फतुहा में पूर्ववत रहने और पूजा-पाठ भजन करने का अवसर मिले ।
इन साधुओं ने बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद अध्यक्ष एवं पर्षद के माननीय सदस्य,विधायक रत्नेश सादा से अपनी व्यथा सुनाई और कहा कि हमें शीघ्र न्याय दिलाने की कृपा की जाय।
पर्षद अध्यक्ष ने त्वरित कार्रवाई करते हुए वरीय पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा है कि परमानन्द दास का फतुहा कबीर मठ से कोई सम्बन्ध नहीं है न ही मठ की गठित न्यास समिति का सदस्य है । इस सम्बंध में जाँच कर मठ को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए विधि सम्मत कार्रवाई का निर्देश दिया है
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