माँ मालती देवी स्मृति सम्मान 2022" से सम्मानित किये गए साहित्यकार एवं समाजसेवी
*"माँ मालती देवी स्मृति सम्मान 2022" से सम्मानित किये गए साहित्यकार एवं समाजसेवी*
*कवि व साहित्यकार व उद्योग विभाग के विशेष सचिवअ दिलीप कुमार, झारखंड के ग़ज़लकार दिलशाद नज़्मी व नालंदा की समाजसेविका व शिक्षिका सुनीता सिन्हा को अंगवस्त्रम, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह व तुलसी का पौधा दे कर किया गया सम्मानित*
काव्यार्पण के तहत 'अखिल भारतीय कवि सम्मेलन' का भी हुआ आयोजन, जुटे देशभर के कवि व शायर
सामयिक परिवेश एवं कविता कोश के तत्वावधान में साहित्य व समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान के लिए "माँ मालती देवी स्मृति न्यास' द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित सम्मान "माँ मालती देवी सम्मान समारोह 2022" का आयोजन किया गया। जिसमें साहित्य में अनुकरणीय योगदान हेतु युवा कवि व साहित्यकार उद्योग विभाग के विशेष सचिव दिलीप कुमार, झारखंड के वरिष्ठ साहित्यकार व ग़ज़लकार दिलशाद नज़्मी व समाजसेवा हेतु नालंदा की शिक्षिका व समाजसेविका सुनीता सिन्हा को अंगवस्त्रम, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र व तुलसी का पौधा देकर पटना के भूमि सर्वेक्षण सभागार में सम्मानित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि दूरदर्शन पटना के कार्यक्रम प्रमुख डॉ राज कुमार नाहर ने कहा कि आज कितना सुखद संयोग की माँ के पुण्यतिथि पर होने वाला आयोजन आज हिंदी दिवस के दिन है। माँ और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है। अध्यक्षता कर रहे साहित्यकार व उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान के पूर्व निदेशक ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए माँ की महिमा पर एक भावपूर्ण कविता सुनाया। उन्होंने कहा कि माँ सशरीर नहीं हैं पर वो हमारी सासों में विद्यमान हैं। पुण्यतिथि पर ऐसा आयोजन अनुकरणीय है।
विशिष्ठ अतिथि साहित्यकार व शिक्षाविद ममता मेहरोत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि हम माँ की बदौलत ही हैं, माँ करुणा व ममता की मूर्ति होती हैं। सहायक आयुक्त राज्य कर व शायर समीर परिमल ने कार्यक्रम की भूरी-भूरी प्रशंसा की।प्रथम मां मालती देवी साहित्य सम्मान प्राप्त शायर और अधिकारी समीर परिमल ने इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि अपने संबोधन में कहा कि हिंदी दिवस और मां का अन्योन्याश्रय संबंध है। हिंदी हमारी मां है और हम अपनी मां के साथ साथ सबकी मां का सम्मान करते हैं अर्थात हर भाषा का सम्मान करते हैं। मां से बढ़कर कुछ नहीं। मां का सान्निध्य दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है। उन्होंने संजीव कुमार मुकेश की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए उनके द्वारा मां की पुण्यतिथि के अवसर पर किए जा रहे कार्यक्रम को अनुकरणीय बताया।
कार्यक्रम का संचालन मीना परिहार ने किया। आगत अतिथियों का स्वागत प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्वेता मिनी ने किया।
कार्यक्रम के संयोजक व युवा कवि संजीव कुमार मुकेश ने बताया कि 2015 से यह सम्मान प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस के दिन साहित्य व समाज सेवा में अनुपम व अनुकरणीय योगदान करने वाले तीन साहित्यकार-समाजसेवी विभूतियों को प्रदान किया जाता है। इस वर्ष यह आयोजन पटना में हो रहा है। मेरे लिए यह सम्मान माँ की पूजा है, साहित्यकारों व शब्द साधकों के द्वारा काव्यार्पण माँ को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने अपनी कविता से माँ को याद किया।
जीवन के हर शब्द-शब्द, अक्षर-अक्षर में माँ
माँ ही गीता-वेद-रामायण, वाणी-स्वर में माँ
धन्यवाद ज्ञापन सामयिक परिवेश की श्वेता मिनी ने किया।
*प्रसिद्ध लोक गायक सत्येंद्र संगीत व ममता मेहरोत्रा ने अपने गायन से मंत्रमुग्ध किया*
ममता मेहरोत्रा के गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस अवसर पर भजन भी प्रस्तुत किया गया। जिसमें प्रसिद्ध लोकगायक सत्येंद्र संगीत ने माँ भजन व गीत से माहौल को संगीतमय कर दिया । सत्येंद्र संगीत ने
माई के ममता केतना निर्मल केहु न सके पहचान,
माई के मनवा में जैसे आप बसे भगवान।।
माई री माई तोरा मनवा गंगा के पनिया हो राम,
तोरा ममता के करजा से आखिर कईसे उरीन होई दुनिया हो राम।। लिट्रा पब्लिक स्कूल के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से भावविभोर कर दिया। बच्चों की तोतली बोली में लकड़ी का काटी... सहित अनेक गीत ने मन मोहा
*काव्यार्पण में बही काव्य धारा-*
राँची से आये शायर व ग़ज़लकार दिलशाद नज़्मी ने सुनाया-
अपना बचपन आज बरसों बाद याद आया मुझे
मेरा बच्चा कह के बूढ़ी माँ ने लिपटाया मुझे
हम पौधों को पानी देने वाली पहली क्यारी अम्मा
पहली टीचर,पहली गुरु,पहली उस्तानी, हमारी अम्मा
पटना की ग़ज़लकार श्वेता ग़ज़ल जी ने शेर पढ़ा-
दुनिया भर के ग़म जो भुलाए रखती है
बस माँ ही आँचल में छुपाए रखती है
राष्ट्रीय कवि संगम, पटना के अध्यक्ष अंकेश कुमार ने पढ़ा
हिंदी हमारी भाषा/हम सबकी अपनी भाषा/जन-जन के हृदय में बसी है/अनुपम दिव्य रूपों में ढली है। दोष न कोई जरा सा।
स्मृति कुमकुम ने सुनाया-
तन -मन वार देती,उम्र भर प्यार देती,
ममता की देवी वो है, देवी में ही प्राण है।
कवयित्री रूबी भूषण ने पढ़ा
माँ से सांसें ,माँ से ही है ज़िन्दगी सब के लिए
माँ के आँचल का है साया क़ीमती सब के लिए
क़र्ज़ हम जन्मों तलक माँ का चुका सकते नही
माँ से ही फैली है जग में रौशनी सब के लिए
अलका वर्मा ने पढ़ा-
राह तकते हर पल रहती है मां
ना जाने कब कहां सोती है मां।
हमने भले ही दुखाया दिल उनका
बददुआ फिर भी कभी न देती है मां
कार्यक्रम में के एल गुप्ता, राकेश सिंह सोनू, अंजनी पांडेय, सुधा पांडेय, अंकेश कुमार, अभिषेक शंकर, मृत्युंजय कुमार झा सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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