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सिख शरणार्थी 76 सालों से इंसाफ के इंतजार में

सिख शरणार्थी 76 सालों से इंसाफ के इंतजार में


शहीद भगत सिंह जी की जयंती की पूर्व संध्या पर पद यात्रा में सिख शरणार्थीयों का छलका दर्द 


देश विभाजन के दौरान पश्चिमी पाकिस्तान में सबकुछ लूटा सुखद भविष्य की चाह लेकर प्रदेश में आये शरणार्थियों का हाल कुछ यूँ हैं कि 75 वर्षों के पश्चात भी उन्हें सरकारी स्तर पर इंशाफ़ नहीं मिल सका है और आज भी उनमें वर्ष 1947 की मर्मभेदी पीड़ा व्याप्त है और उसकी टीस से अपनों के बीच ही पंजाबी शरणार्थी पराया महसूस कर रहे हैं। दरअसल तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद का आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक चितकोहरा स्थिति सैकड़ों पंजाबी शरणार्थियों को अर्जित जमीन उपलब्ध नहीं करा सकी है भू -माफियाओं के अवैध कब्जे से निजात पाने के लिए अर्जित जमीन के दावेदार शरणार्थियों ने राज्य सरकार से किसी तरह की मदद मिलने की उम्मीद छोड़ दी है क्यूंकि  कि विगत सात दशकों से राष्ट्रपति, मानवाधिकार आयोग और राज्यपाल के तमाम आदेश सचिवालय तथा जिला समाहरणालय में कागजी घोड़ा बनकर रह गया हैं |

भू-राजस्व विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारी एक ही सिक्के, के दो पहलू हैं। राष्ट्रपति से लेकर राज्यपाल और मानवाधिकार आयोग ने चितकोहरा शरणार्थी शिविर की अर्जित भूमि पर किये गये अतिक्रमण को मुक्त कराने और दखल दिलाने का आदेश राज्य सरकार को दिया लेकिन अब तक आदेश के आलोक में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

 तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के आदेश पर पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरवाला समेत अन्य जगहों से आये तीन सौ शरणार्थी परिवारों के लिए राज्य सरकार ने चौदह बीघा और चौदह कट्ठा से अधिक जमीन चितकोहरा में वहां के जमींदार अजीजउद्दीन अशरफ एवं अन्य भूपतियों से अर्जित की थी, जो बिहार सरकार के गजट (21 सितम्बर, 1949) में बतौर रिकार्ड दर्ज है। इसमें दावेदार, पंजाबी शरणार्थियों के लिए 4.86 एकड़ जमीन भी गजट में शामिल है। दावेदार शरणार्थी वे परिवार है जिनका सबकुछ पाकिस्तान में रह गया और वे केवल अपनी जान बचाते हुए खाली हाथ भारत लौटे थे लेकिन हैरानी की बात यह है कि पटना जिला प्रशासन के दस्तावेज में मात्र 4.47 एकड़ जमीन ही दर्ज है। जिसके तहत शरणार्थियों के लिए 2.47 एकड़ जमीन पर 139 क्वार्टर निर्मित कराया गया और एक सौ परिवारों को बसाया गया। शेष बची दो एकड़ जमीन पर जिला प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकारियों ने कब्जा जमा लिया। उक्त अवैध कब्जे में पड़ी जमीन पर पंजाबी शर्णार्थियो को आज तक नसीब नहीं हो सका। चितकोहरा के उस अतिक्रमित जमीन पर भूपतियों ने अपने गुंडों के बलबूते बाजार भी लगा रहे हैं और पैसा उगाही कर रहे है | इस जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए राष्ट्रपति सचिवालय में 8 जून, 2003 को  पटना के जिलाधिकारी को आदेश दिया और उस जमीन पर शरणार्थियों का दखल कराने का दिशा-निर्देश भी दिया। फिर भी  जिला प्रशासन ने अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। 

इससे पूर्व वर्ष 1979 में पंजाबी शरणार्थियों के लिए अर्जित जमीन पर अतिक्रमण का मामला बिहार विधान मंडल में आया और फिर दोनों सदनों ने चितकोहरा स्थित पंजाबी शरणार्थी कालोनी की अर्जित जमीन पर से अतिक्रमण हटाने और उस पर दखल दिलाने को आदेश राज्य सरकार को दिया लेकिन उस आदेश को भी | ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वर्ष 1984-85 में सहाय्य एवं पूर्नवास विभाग के आयुक्त बी. के. सिंह ने भी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने और उस पर शारणार्थियों को दखल दिलाने का जिलाधिकारी को दिया।

 इस आदेश पर जिला प्रशासन के भू-अर्जन अधिकारी ने सहाय्य एवं पूर्नवास विभाग के अधिकारियों के साथ एक बार फिर चितकोहरा में शरणार्थी पंजाबी कालोनी के जमीन का सीमांकन किया और अतिक्रमित जमीन पर पक्का का स्तंभ गाड़ निशान लगाया लेकिन दूसरे दिन ही अतिक्रमणकारियों ने सारे स्तंभ को उखाड़ फेका। इस मामले में 21 जून, 2000 को मानवाधिकार आयोग ने अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराने और उस पर शरणार्थियों को दखल दिलाने का आदेश मुख्य सचिव, बिहार सरकार को दिया । फिर भी जिला प्रशासन ने अतिक्रमण से जमीन को मुक्त कराने संबंधी कोई कार्रवाई नहीं की। 

अभी हाल ही में भी डी. एम. साहेब द्वारा हमारी पंजाबी कॉलोनी की जमीन का नापी का आदेश ज्ञापांक 3640 दिनांक 29.09.2021 दिया गया पर नापी नही हो सका फिर दोबारा ज्ञापांक 5885 दिनांक 24.09.2022 नापी का आदेश हुआ पर नापी पूर्ण नही हो सका उपरांत ज्ञापांक 9407 दिनांक 16.11.2022 को हमलोग से पंजाबी कॉलोनी का असली नक्शा का मांग किया गया जोकी हमलोग पूर्व में भी कह चुके हैं की पंजाबी शरणार्थी की जमीन के कागज़ किसी डिपार्टमेंट में नही है जबकी हाईकोर्ट का आदेश भी है की पंजाबी कॉलोनी का कागज खोज कर शरणार्थीयों की जमीन उन्हें दी जाय पर पता नहीं हम लोगो को लगता है प्रशासन हमारी कोई मदद नहीं करना चाहता क्योंकि हम महा अल्पसंख्यक है इसका एक नमूना है की 9441 दिंनाक 08.04.2023 द्वारा हम लोगो की सुनवाई के लिए 17.04.2023 को बुलाया गया पर 17.04.2023 को वहां जा कर पता चला की आपकी सुनवाई कैंसल कर दिया गया है उसके बाद एक तरफा फैसला सुना कर कब्रिस्तान की बाउंड्री का आदेश दे दिया गया एक तरफ़ा फैसला कहाँ का इन्शाफ़ है | एक तरफा फैसला होने के कारण पंजाबी कॉलोनी में तनाव का माहौल बना हुआ रहता है, हमें भी इंशाफ चाहिए इसलिय सरकार से आग्रह पूर्वक कहना है की कब्रिस्तान की बाउंड्री रोक कर हमारी जमीन भी नापी कराई जाए ताकि हमें भी पत्ता चल सके की हमारी कौन सी जमीन है।

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