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मदद एक अद्भुत प्रेम - सुजीत कुमार शर्मा

मदद एक अद्भुत प्रेम - सुजीत कुमार शर्मा


अमृत सरोवर को सूखता हुआ देखकर एक पथिक ने नदी के दोनों किनारों से पूछा "भाई क्या अपने प्रयासों से उस सूखते हुए अमृत सरोवर की मदद कर सकते हैं । यह सुनकर किनारों ने कहा "हां हां क्यों नहीं लेकिन हमें क्या करना होगा ? यह प्रश्नचिन्ह सुनकर पथिक सोचने लगा "क्या अब मुझे शिक़ायत उस तेज किरणों की करनी चाहिए या फिर उस सूर्य की जिसकी तपस से तालाब हर रोज धीरे धीरे सूखता जा रहा था।

अंततः उस पथिक ने सोंचा भला शिक़ायत करने से उस सरोवर को क्या लाभ होगा अगर शिकायत के पश्चात् सरोवर को लाभान्वित नहीं कर पाएं तो इससे सूर्य और 

उसकी किरणों को भला क्या नुकसान होगा ? ऐसा सोचते हुए पथिक ने किनारों से कहा "भाई अगर आप चाहें तो अमृत सरोवर को बचाने के लिए हम दोनों नदी के बहते हुए जल से मदत मांग सकते हैं।  सूखते हुए  अमृत सरोवर की विवशता और पथिक की हार्दिक उत्सुकता को देखकर नदी के दो किनारों ने जल को स्पर्श करते हुए बोला "बहन यह पथिक आपसे मदत की गुहार लगाने आया है। नदी ने झट से कहा "हां हां उस पथिक को बुलाओ ताकि उसकी गुहार को सुनकर हमसब उसकी इच्छा और जरूरतों की पूर्ति कर सकें। पथिक नदी के पास आकर बोला "बहन मैंने अनजान रास्तों में एक ऐसे सरोवर को देखा है जो पानी के बगैर हर दिन धीरे धीरे सूखता जा रहा है,अगर आप समंदर के रास्तों से थोड़ा विमुख होकर एक नया पथ का निर्माण कर देगी तो इससे उस सरोवर और उसमें रहने वाले जीव जंतुओं का कल्याण प्रशस्त हो जाएगा। यह सुनकर नदी  काफ़ी हैरान हुई और उसने कहा "भाई पथिक तुम्हें जितना पानी पीने की आवश्यकता है तुम पी लो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी किंतु मैं अपना रास्ता नहीं बदलूंगी । ऐसा करने से समंदर मुझसे काफ़ी नाराज होगा । यह सुनकर पथिक उदासीनता भाव से कहा "नदी बहन अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं समंदर से ऐसा करने के लिए अनुमति मांगने का प्रयास कर सकता हूं। नदी ने सोचा अगर पथिक समंदर के पास चला गया तो अपने जल का अधिकांश हिस्सा उस अनजान सरोवर को देना पड़ जाएगा और ऐसा करने से मेरे जल की गहराई फीकी पड़ जाएगी। यह सोचते हुए नदी ने कहा "पथिक भाई आप सरोवर की चिंता मत कीजिए उसमें रहने वाले जीव जंतु को समयानुसार अपने पास बुला लूंगी। यह सुनकर पथिक थोड़ा क्रोधित होकर बोला "नदी बहन मुझे फिक्र सिर्फ जीव जंतुओं का नहीं बल्कि उस सरोवर का है जिसके सुख जाने से भविष्य में वैसे सरोवर का निर्माण करना कथित असंभव होगा।  नदी बहन "उस सरोवर  के चारों तरफ ऐसे कई अनगिनत रंग बिरंगे फूल हैं जिसकी खूबसूरती से सरोवर अति शुसोभीत और मनमोहक प्रतीत होता है, किंतु नदी की हठ और जिद्द के आगे पथिक और दो किनारों की एक न चली। और अंततः पथिक इस उम्मीद के साथ उदास होकर उस सरोवर के पास जाकर बैठ गया कि एक दिन अवश्य ही समंदर उस सूखते हुए सरोवर और उसमें रहने वाले जीव जंतुओं को समय रहित बचा लेगा।


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