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शीर्षक:- कृष्ण जन्माष्टमी , लेखक  - प्रभात राजपूत ''राज'' गोंण्डवी

शीर्षक:- कृष्ण जन्माष्टमी , लेखक - प्रभात राजपूत ''राज'' गोंण्डवी

 

लेखक - प्रभात राजपूत ''राज'' गोंण्डवी

कृष्ण पक्ष में जन्म लिया रोहिणी नक्षत्र था, 

मध्यरात्रि थी वो रूप ही विचित्र था।

भाद्रपद पावन मास अष्टमी का वार,

यदुकुल वासुदेव देवकी का पुत्र था।।


मूसलाधार बारिश भी, कारागार बंद था,

पहरेदार, पहरेदारी में थे, कंस भी मंद था।

जन्म होते ही दरवाजे खुल गए, पहरेदार सो गए,

वासुदेव,देवकी यह दृश्य को देखकर बोले,ये कैसा संबंध था।।


टोकरी में रखकर कारागार से निकल पड़े,

कृष्ण को लेकर गोकुल की तरफ चल पड़े।

यमुना को ज्ञात हुआ विष्णु जी का अवतरण हुआ है,

दर्शन के लिए जलस्तर भी मचल पड़े।।


भाद्रपद मास था अंधेरी रात थी,

कृष्ण का जन्म हुआ़ हो रही घनघोर बरसात थी।

विष्णु रूप में दर्शन दिया,दुःख का नाश होगा, कंस का भी मर्दन होगा,

विष्णु के आगे इस जग में किसकी औकात थी।।


चारों तरफ देवगण खुशियां मना रहे थे,

पुष्प वर्षा हो रही थी, खुशियों के गीत गा रहे थे।

कल्याण करने जगत का अवतरित हो गए हैं,

नारद गाकर सभी को बता रहे थे।।


स्वरचित रचना

प्रभात राजपूत ''राज'' गोंण्डवी

गोंडा, उत्तर प्रदेश

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