-->

Translate

नाम नही एक विचारधारा बन चुके हैं राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय।

नाम नही एक विचारधारा बन चुके हैं राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय।



कवि प्रेमसागर पाण्डेय भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड के खुटहाँ पंचायत के भीमपट्टी के रहने वाले हैं।पारिवारिक पिरचय दे तो पिता श्री भरत पाण्डेय जो पेशे से शिक्षक और किसान हैं माता गृहणी और दो भाई और दो बहन जिनमे कवि जी सबसे छोटे हैं।कवि जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय फिर दियरा उच्च विद्यालय से हुई हैं।उसके बाद उच्च शिक्षा हेतु हेडक्वार्टर आरा के सहजानंद ब्रह्मर्षि कॉलेज से हुई और ये अभी शोध की पढ़ाई में लग्नशील हैं।साहित्यिक परिचय बता दे कि कवि प्रेमसागर की शुरुआती दौर काफी कठिन था। मंचो तक पहुँचने में करीब चार वर्ष लग गये बीच मे हताश होकर साहित्य लिखना छोड़ने का भी विचार कर लिए थे जब निराशा पर निराशा हाथ लग रही थी लेकिन कहा जाता हैं न कि उपर वाले के पास देर होती हैं अंधेर नही।फिर 22 सितम्बर 2018 का दिन आया जब पहला मंच लखनऊ के हजरतगंज में मिला जहाँ पर नाम के आगे एक सम्मान सूचक शब्द कवि लगा और जीवन की यथार्थता सिद्ध हुई।तब लेकर आज तक लगभग भारत के अठारह से उन्नीस राज्य में कविता पाठ कर चुके हैं और भारत के विभिन्न राज्यो से अनेक सम्मान पा चुके हैं।


जिसकी प्रशंसा आज भारत के हर कोने में हो रही हैं।सम्मान की बात करे तो हिमाचल प्रदेश से "काव्य श्री"सम्मान,उत्तराखंड से"साहित्य गौरव"सम्मान,नेपाल से "हिंदी साहित्य सेवा"सम्मान,बिहार से "युवा कलम सम्मान"राजस्थान से "राष्ट्रीय युवा सम्मान"दिनकर सम्मान,आदि अनेक प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त कर चुके हैं।हालांकि वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ गिनीज बुक में भी अपना नाम दर्ज करा चुके है पिछले साल जुलाई में और वर्तमान में हिंदुस्तान न्यूज़ नेटवर्क द्वारा "नेशनल आइकॉन अवॉर्ड"के लिए भी चुने गए हैं जो पिछले वर्ष जाने-माने फ़िल्म अभिनेता सुनील शेट्टी को मिला था।कवि प्रेमसागर जी का सामाजिक जीवन भी उत्कृष्ट प्रवृति का हैं बता दे की हर 3 महीने पर रक्तदान करते हैं।गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं।गरीब असहाय लोगो को वस्त्र वितरण आदि अनेक पुनीत कार्य भी करते हैं।जिसकी वजह से आज इनकी लोकप्रियता अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुँच चुकी हैं।क्षेत्रीय लोगो को इनसे अभिलाषाये बढ़ती ही जा रही हैं और कामयाबी के लिये दुवाएँ करते हैं।कवि प्रेमसागर अपनी हर कामयाबी का श्रेय अपने गुरु,बड़े-बुजुर्गों,मित्रो,अनुज-अग्रज सबको देते हैं जिनके आशिर्वाद और दुवाओ की बदौलत आज कामयाब हैं।

0 Response to "नाम नही एक विचारधारा बन चुके हैं राष्ट्रीय कवि प्रेमसागर पाण्डेय।"

एक टिप्पणी भेजें

advertising articles 2

Advertise under the article